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माँ की यादें

दिल में है इक  सूनापन, आँखों में कुछ नमीं सी  है ,
तेर  बिना माँ ओ! मेरी जिंदगी,में  बहुत कमीं  सी है।

दिखे  बहुत  लोग ख़ूबसूरत,पर कोई तुम सा न दिखा,  
मिले  बहुत  ख्याल रखने वाले,पर तुम सा  ना रखा।

तुम से बढ़कर हमदर्द मेरा  इस जहाँ में कोई नहीं है, 
तेरी आँचल से बढ़कर, ओ  माँ! ज़न्नत कोई नहीं है। 

 तेरी बाग़ के थे फ़ूल हम,अब किसी और बाग़ के बगवां। 
 पर   तेरी जैसी बात माँ , वो  हर ख़ूबियाँ हम में है कहाँ। 

ऐसा नहीं  कि मेरी नई जिंदगी में,खुशियों की कमी है,
पर मेरे उस घर जैसी ख़ुशी , मुझे मिलती कहीं नहीं है।

  ममता की ठंडी छाँव तेरी,अब भी बिसरी मुझे नहीं है,
  यादों के गुलशन में मेरी मां ! महकती,रहती हर घड़ी है।  

लगता है मुझे माँ, तुम अभी कहीं से  आ आओगी।
लोरियां गा,गा कर , मीठी  नींद  में मुझे सुलाओगी।

तेरी लोरियों के बिना माँ! मुझे नींद आती नहीं  है।
कोई भी परी अब सपनों में,मेरे कभी आती नहीं है।

मुझे खिलाये  बिना तुम खाना, खाती थी कभी नहीं।
तेरे बिना ओ माँ !कोई ,खाने को पूछता भी नहीं है।

इस जहाँ में  तेरे मेरे रिश्ते से, बढ़कर रिश्ता कोई नहीं है।
तुमसे बढ़कर हमदर्द ओ माँ! मेरा यहाँ कोई और नहीं है।

स्नेहलता पाण्डेय \'स्नेह\'

प्रतियोगिता के लिए

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            मेरी ये रचना हर मां को समर्पित 👏 👏

 
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2 Comments

Zakirhusain Abbas Chougule

03-Dec-2021 12:00 AM

Nice

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Swati chourasia

30-Nov-2021 06:39 AM

Wow very beautiful 👌👌

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